मैं एक गहरा दरिया हूँ ख़ामोशी का... मैं एक गहरा दरिया हूँ ख़ामोशी का...
एहसासों से जुड़ा हर जज़्बात, ग़र मिट जाता आज तो अच्छा होता...! एहसासों से जुड़ा हर जज़्बात, ग़र मिट जाता आज तो अच्छा होता...!
मैं जितनी दूर आईने से, वो उतने पास सा था...! मैं जितनी दूर आईने से, वो उतने पास सा था...!
मन करता है कि, इस दुनिया से इस्तीफा दूँ... मन करता है कि, इस दुनिया से इस्तीफा दूँ...
मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...! मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...!
कवना बतिया के रखलू ध्यान बोला काहे छोड़ी गई लू तू जान। कवना बतिया के रखलू ध्यान बोला काहे छोड़ी गई लू तू जान।